अतिरिक्त >> देर है अंधेर नहीं देर है अंधेर नहींवीरेन्द्र तंवर
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करेली गांव की बात है। यहां कला अपने पति किसन के साथ रहती थी। इनके एक बेटा था। एक बेटी थी।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
देर है अंधेर नहीं है
करेली गांव की बात है। यहां कला अपने पति किसन के साथ रहती थी। इनके एक
बेटा था। एक बेटी थी।
किसन शक्की आदमी है। उसे घरवाली पर भरोसा नहीं रहा। वह उसे रोज जलील करता। जली-कटीबातें सुनाता। मारता-पीटता भी था। कला ने लाख सफाई दी। अपने को बेकसूर बताया। उसके माता-पिता गांव में ही रहते थे। उन लोगों ने भी किसन को समझाया। लेकिन किसन का शक दूर नहीं हुआ., उसका कहना था, ‘कला का किसी के साथ गलत संबंध है। कला का चाल-चलन बिगड़ गया है।’
किसन पंचायत में गया। कला की शिकायत की। फैसल
ा करने की मांग की। पंचायत की बैठक बुलाई गई। गांव के लोग जमा हुए। कला के माता-पिता भी पंचायत में आए । पांच सयाने पंच चुने गये। पंच चबूतरे पर बैठे।
किसन ने पंचायत को बताया, ‘‘कला का चाल-चलन बिगड़ गया है। उसका किसी से गलत संबंध है। मैं उसे नहीं रखना चाहता हूं। हमारी छोड़-छुट्टी करवा दीजिए।’’
पंचों ने कला को बुलवाया। दो आदमी उसके घऱ गए। उसने आने से मना कर दिया। पंचों को बहुत बुरा लगा। एक पंच बोला, ‘‘उसने हमारा अपमान किया है। उसे घसीट कर लाया जाए।’’
कुछ लोग कला को घसीटते हुए लाए। उसके कपड़े फट गए। हाथ-पैर छिल गए।
किसन शक्की आदमी है। उसे घरवाली पर भरोसा नहीं रहा। वह उसे रोज जलील करता। जली-कटीबातें सुनाता। मारता-पीटता भी था। कला ने लाख सफाई दी। अपने को बेकसूर बताया। उसके माता-पिता गांव में ही रहते थे। उन लोगों ने भी किसन को समझाया। लेकिन किसन का शक दूर नहीं हुआ., उसका कहना था, ‘कला का किसी के साथ गलत संबंध है। कला का चाल-चलन बिगड़ गया है।’
किसन पंचायत में गया। कला की शिकायत की। फैसल
ा करने की मांग की। पंचायत की बैठक बुलाई गई। गांव के लोग जमा हुए। कला के माता-पिता भी पंचायत में आए । पांच सयाने पंच चुने गये। पंच चबूतरे पर बैठे।
किसन ने पंचायत को बताया, ‘‘कला का चाल-चलन बिगड़ गया है। उसका किसी से गलत संबंध है। मैं उसे नहीं रखना चाहता हूं। हमारी छोड़-छुट्टी करवा दीजिए।’’
पंचों ने कला को बुलवाया। दो आदमी उसके घऱ गए। उसने आने से मना कर दिया। पंचों को बहुत बुरा लगा। एक पंच बोला, ‘‘उसने हमारा अपमान किया है। उसे घसीट कर लाया जाए।’’
कुछ लोग कला को घसीटते हुए लाए। उसके कपड़े फट गए। हाथ-पैर छिल गए।
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